डॉक्टरों से मारपीट की तो 10 साल जेल में कटेंगे
सेहतराग टीम
पूरे देश में डॉक्टरों के साथ मरीजों के परिजनों द्वारा की जाने वाली बदसलूकी और कई बार मारपीट की घटनाओं से केंद्र सरकार ने सख्ती से निबटने का मन बना लिया है। पिछले कुछ महीनों में हुई घटनाओं से सबक लेते हुए सरकार ने इस बारे में एक विधेयक के मसौदा को अंतिम रूप दिया है जिसमें अब ऑन ड्यूटी डॉक्टर से मारपीट करने वाले व्यक्ति को 10 साल तक जेल की सजा सुनाई जा सकती है।
गौरतलब है कि अभी भी ऐसे कानून हैं जिनके तहत मरीजों के परिजनों को डॉक्टरों या अस्पताल कर्मियों से बदसलूकी करने पर सजा का प्रावधान है मगर इनमें सख्त सजा नहीं होती है। अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो विधेयक का मसौदा बनाया है उसमें ऐसी घटनाओं पर जीरो टॉलरेंस की नीति रहेगी। इस विधेयक के मसौदे को जल्द ही आम लोगों की राय के लिए सार्वजनिक किया जाएगा। खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने मंगलवार को मीडिया को यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि इस मसौदे को उन्होंने अपनी मंजूरी दे दी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार मसौदा विधेयक में क्लीनिकल प्रतिष्ठानों में डॉक्टरों एवं अन्य चिकित्साकर्मियों को गंभीर चोट पहुंचाने वालों को तीन से 10 साल के बीच कैद की सजा तथा उन पर दो से 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार हिंसा करने वालों या अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को छह महीने से लेकर पांच साल तक की कैद और 50,000 रुपये से पांच लाख रुपये के बीच जुर्माना लगाया जा सकता है। स्वास्थ्यकर्मियों की परिभाषा में डॉक्टर और पैरा-मेडिकल कर्मचारी तथा मेडिकल छात्र, अस्पताल या क्लीनिक में रोग निदान सेवाएं प्रदान करने वाला व्यक्ति और एंबुलेंस चालक शामिल होंगे।
देश में डॉक्टरों के खिलाफ होने वाली हिंसा पर प्रभावी रोक लगाने की जरूरत तब महसूस हुई जब पश्चिम बंगाल में एक सरकारी अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद मरीज के परिजनों ने जमकर उत्पात मचाया और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों की पिटाई की। दो डॉक्टर इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। अन्य स्टाफ को भी चोटें आई थी। इस घटना के बाद देश भर के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे।
उसी समय डॉक्टरों से समझौते की बातचीत के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बारे में एक केंद्रीय कानून बनाने का वादा किया था। डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि इस सिलसिले में एक केंद्रीय कानून मेडिकल पेशे से जुड़े लोगों की काफी समय से लंबित मांग है। इस पर एक मसौदा विधेयक को अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘हम लोगों की राय और टिप्पणियों के लिए जल्द ही इसे सार्वजनिक कर देंगे।’ इसके बाद विधेयक को कैबिनेट में रखा जाएगा।
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